Friday, 3 March 2017


केवल अनुच्छेद 32 , 142 , 226 , 227 के भरोसे आप देश को नहीं चला सकते न हीं न्याय दे सकते है , स्थानीय स्तर पर O 39 R 1 ,2 को मजबूत करें ।
यह अत्यंत आवश्यक है, प्रभावकारी है और अनुमण्डल स्तर तक जन सुलभ है और लगभग वह सब कुछ प्रभाव पैदा कर सकता है जो अन्याय को तत्काल दूर करने के लिये आवश्यक है। 

अफ़सोस है , सिविल डिस्प्यूट और रिमेडी अब इतिहास की सी बात हो गई ।
लगता है बड़े कोर्ट के वकीलों ने अपने ब्यवसायिक लाभ के लिये इंजंक्शन के ज्यूरिस्डिक्सन को रिट के ज्यूरिस्डिक्सन से किडनैप करवा दिया ।
छोटे छोटे कोर्ट के वकील भी बड़े वकीलों के इस खेल को समझ नहीं पाये।
इंजंक्शन या बेल वे रिमेडी है जो अपने मवक्किल को दिलाने से वकील की इज्जत ,मान बढ़ता है ।बड़े वकीलों से मिलने वाली कर्टसी छोटे स्टेशन के वकील को मिलने वाली फीस से बड़ी होती है।
छोटे कोर्ट को रिलीफ नहीं देने के लिये प्रेरित ,बाध्य करने वाली बहुत सी शक्तियॉ है ।

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