सच तो यह है कि समय निरन्तर निःशब्द निर्विकार चला जा रहा है , कल के गर्भ से आया आज और अभी के रास्ते अनन्त कल -अनन्त भविष्य के लिये चल पड़ा ,- एकदम निश्चिन्त , अपनी गति ,अपनी मति से -
Wednesday, 22 March 2017
यदि आप से कोई गलती हो ही गई हो तो उसे कम से कम अपनी बाद वाली पीढ़ी के सामने स्वीकारे ,उसे गलत है ,ऐसा समझायें ,समझें । खामखाह अपने पाप को उस तरह से सजा के न दिखाये की नई पीढ़ी पाप को ही स्वभाव या पुण्य या नियति मान बैठे । अपने पाप से नई पीढ़ी को जन्म के साथ ही बोझिल न करे । नई पीढ़ी को अपना पाप बताये औऱ यह भी बताये की इस पाप को नई पीढ़ी को झेलना नहीं चाहिये ।
बस अपने पाप को पाप जान तो लीजिये ,मान तो लीजिये ,आपसे यह या वह पाप हो गया है ,जो हो गया वह पाप था बस इतना स्वीकार करते बताते जाईये ।अपने पाप से खुद को महिमा मंडित न करे ।
Tuesday, 21 March 2017
RSS today is not RSS @1947 .
It is Modified , tamed by .... M......,
So many U turns are publicly visible.........
Many embarrasements to old RSS are also even openly conceded.
Post Independence ,RSS has learnt several political lessons and experienced several jerks, jumps ,jolts .
Post independence era walk was never a cake walk . It was a walk of transformation and up to strength after plugging several loop-holes and remaking the loose ends.
A journey from an apprehensive thinking to comprehensive working.. ,
A think tank to work force.. ,
A dream to accomplishment
प्रेम और प्यार में दया , करुणा ,एहसान , उपकार का कोई स्थान नहीं होता। प्रेम समर्पण है , परस्पर स्पंदन है पर विनिमय- लेनदेन -हिसाब-किताब नहीं।
यह त्याग का अधिकार है। मुझे अधिकार है आपके प्रति त्याग करने का। प्रतिफल का तो कोई विचार ही नहीं। प्रेम में प्रतिफल का अनुपस्थित है।
प्रेम में दाता भाव नहीं आता। कोई उपकृत या उपकारी होता ही नहीं। कोइ दयालु या दया का पात्र है ही नहीं। यहां कृपालु कोइ नहीं , न ही कृपाकांक्षी।
प्रेम एक सम्पूर्ण भाव है। सब कुछ इसी में आ कर समा सकता है , सब कुछ इसी से निकल ,उग सकता है। यह है तो है , नहीं है तो नहीं है। थोड़ा प्रेम , कम प्रेम , अधिक प्रेम , आ रहा है प्रेम , जा रहा है प्रेम - यह सब प्रेम की दुनिया में नहीं है। है तो है , नहीं तो नहीं।
प्रेमी ही प्रेम को जान -पहचान सकता है।
जिसने प्रेम रस चख लिया वह बस उस के आलावा कोइ और रस चखने के लायक रह ही नहीं गया।
प्रेम और प्यार में दया , करुणा ,एहसान , उपकार का कोई स्थान नहीं होता। प्रेम समर्पण है , परस्पर स्पंदन है पर विनिमय- लेनदेन -हिसाब-किताब नहीं।
यह त्याग का अधिकार है। मुझे अधिकार है आपके प्रति त्याग करने का। प्रतिफल का तो कोई विचार ही नहीं। प्रेम में प्रतिफल का अनुपस्थित है।
प्रेम में दाता भाव नहीं आता। कोई उपकृत या उपकारी होता ही नहीं। कोइ दयालु या दया का पात्र है ही नहीं। यहां कृपालु कोइ नहीं , न ही कृपाकांक्षी।
प्रेम एक सम्पूर्ण भाव है। सब कुछ इसी में आ कर समा सकता है , सब कुछ इसी से निकल ,उग सकता है। यह है तो है , नहीं है तो नहीं है। थोड़ा प्रेम , कम प्रेम , अधिक प्रेम , आ रहा है प्रेम , जा रहा है प्रेम - यह सब प्रेम की दुनिया में नहीं है। है तो है , नहीं तो नहीं।
प्रेमी ही प्रेम को जान -पहचान सकता है।
जिसने प्रेम रस चख लिया वह बस उस के आलावा कोइ और रस चखने के लायक रह ही नहीं गया।
यह त्याग का अधिकार है। मुझे अधिकार है आपके प्रति त्याग करने का। प्रतिफल का तो कोई विचार ही नहीं। प्रेम में प्रतिफल का अनुपस्थित है।
प्रेम में दाता भाव नहीं आता। कोई उपकृत या उपकारी होता ही नहीं। कोइ दयालु या दया का पात्र है ही नहीं। यहां कृपालु कोइ नहीं , न ही कृपाकांक्षी।
प्रेम एक सम्पूर्ण भाव है। सब कुछ इसी में आ कर समा सकता है , सब कुछ इसी से निकल ,उग सकता है। यह है तो है , नहीं है तो नहीं है। थोड़ा प्रेम , कम प्रेम , अधिक प्रेम , आ रहा है प्रेम , जा रहा है प्रेम - यह सब प्रेम की दुनिया में नहीं है। है तो है , नहीं तो नहीं।
प्रेमी ही प्रेम को जान -पहचान सकता है।
जिसने प्रेम रस चख लिया वह बस उस के आलावा कोइ और रस चखने के लायक रह ही नहीं गया।
Thursday, 9 March 2017
I have been a judge and an advocate . Advocate for long 14 years . Judge for long 19 years . Ground realities that the law agencies face or the judges face is different . I have seen whole bar behind most dreaded accused and advocates escorting accused as private security men just to prevent interrogation of the accused in police custody by the police .
The same bar had other argument when the victim was a member of bar . Arguments are on record to support two different view .
A view for the organised crime perpetrator biggies .. the other for the piggies ...
We have both views...
The same bar had other argument when the victim was a member of bar . Arguments are on record to support two different view .
A view for the organised crime perpetrator biggies .. the other for the piggies ...
We have both views...
Friday, 3 March 2017
Judiciary would not drive the state or nation or its people but would certainly regulate the traffic , challan the overloaded , speeding , show the right directions , parking slots , zebra crossings , the signals and those only one way and dead end....
It has a duty , authority and obligation to say, call or even shout , " Halt ", "No ", "Out" , "Not Out" , "Bad Light- No Play "
केवल अनुच्छेद 32 , 142 , 226 , 227 के भरोसे आप देश को नहीं चला सकते न हीं न्याय दे सकते है , स्थानीय स्तर पर O 39 R 1 ,2 को मजबूत करें ।
यह अत्यंत आवश्यक है, प्रभावकारी है और अनुमण्डल स्तर तक जन सुलभ है और लगभग वह सब कुछ प्रभाव पैदा कर सकता है जो अन्याय को तत्काल दूर करने के लिये आवश्यक है।
अफ़सोस है , सिविल डिस्प्यूट और रिमेडी अब इतिहास की सी बात हो गई ।
लगता है बड़े कोर्ट के वकीलों ने अपने ब्यवसायिक लाभ के लिये इंजंक्शन के ज्यूरिस्डिक्सन को रिट के ज्यूरिस्डिक्सन से किडनैप करवा दिया ।
छोटे छोटे कोर्ट के वकील भी बड़े वकीलों के इस खेल को समझ नहीं पाये।
इंजंक्शन या बेल वे रिमेडी है जो अपने मवक्किल को दिलाने से वकील की इज्जत ,मान बढ़ता है ।बड़े वकीलों से मिलने वाली कर्टसी छोटे स्टेशन के वकील को मिलने वाली फीस से बड़ी होती है।
छोटे कोर्ट को रिलीफ नहीं देने के लिये प्रेरित ,बाध्य करने वाली बहुत सी शक्तियॉ है ।
At times there can be more justice without law or beyond law . Sometimes law hinders the way to justice .
Law is not the sole source of justice .
An advocate is a member of Justice army and a judge is the member of constitutional army .
Both have only one religion that is constitutionalism.
Both are only and only constitutionalist bretheren on either side of justice coin..
Do we really create or produce or we are merely manager of assembly lines , mixture plants and get dictations to act as per command or act as directed .
What did we really create with our own deeds, mind and stamp ?
We have some software but there you need only brain and not much of material or hands .
Something in DRDO ,ISRO .....! Yes
Some innovative collection , analysis , indexing and interpretation of POKHRAN II data : Yes : ( But we cannot share that )
अफ़सोस है , सिविल डिस्प्यूट और रिमेडी अब इतिहास की सी बात हो गई ।
लगता है बड़े कोर्ट के वकीलों ने अपने ब्यवसायिक लाभ के लिये इंजंक्शन के ज्यूरिस्डिक्सन को रिट के ज्यूरिस्डिक्सन से किडनैप करवा दिया ।
छोटे छोटे कोर्ट के वकील भी बड़े वकीलों के इस खेल को समझ नहीं पाये।
इंजंक्शन या बेल वे रिमेडी है जो अपने मवक्किल को दिलाने से वकील की इज्जत ,मान बढ़ता है ।बड़े वकीलों से मिलने वाली कर्टसी छोटे स्टेशन के वकील को मिलने वाली फीस से बड़ी होती है।
छोटे कोर्ट को रिलीफ नहीं देने के लिये प्रेरित ,बाध्य करने वाली बहुत सी शक्तियॉ है ।
क्यों लगता है कि बस पिछले दो तीन साल में ही भारत बना या बिगड़ा ।
किसी एक के भरोसे देश !
क्या कोई एक ही है देश ?
किसी एक का विरोध क्यों हो जाता देश का विरोध ?
या फिर सारी ताकत एक के ही विरोध के लिये ?
क्या वह एक इतना प्रतापी है कि आप का सारा समय , कौशल , बल ,बुध्दि ,चातुर्य ,ज्ञान ,कला उस एक के विरोध करने में असमर्थ है ?
दोनों ओर अतिरेक !!
दोनों और अतिश्योक्ति !!
एक आयातित विचार जो लगभग त्यक्त हो चुके है, जिनकी उपयोगिता कब की नष्ट हो चुकी है कि लाश ढो रहे अब भारत में नित्य नया स्वाँग रचते रहते हैं।
अपने आप को अप्रासंगिक जानते हुए भी अभी भी अपने पहले के पैदा किये अंधभक्तों के माध्यम से मीडिया में स्थान प्राप्त करते रहते है ।
मिडिया ऐंकर अपने ब्यक्तिगत पूर्वाग्रह से न केवल अपनी ब्यक्तिगत विश्वसनीयता खोते जा रहे है वरन अपने सारे मिडिया जगत पर संकट पैदा करते है ।
सच तो यह है कि साठ सत्तर सालों के पूर्वाग्रह और नया पूर्वाग्रह का संघर्ष है ।
नया ज्यादा प्याज खाता है। नये को आता देख पुराने सभी पूरी ताकत से जुटने लगते है ।
पुराने सभी को अपनी कमजोरियाँ पता है ।समय के प्रभाव से आ गया अवगुण भी लगभग सभी को पता लग गया है
नया तो नया है ।
उसकी सच्चाई, अच्छाई बुराई सब कुछ परखी जानी है ।
पुराना और पुराने , नये से अनभिज्ञ है । डरे रहते है ।
आया तो कहीं जम ही न जाये !
बस सारे पुराने एक हो नये को खदेड़ने लगते हैं ।
देखिये सड़े गले की चुकी फ़ौज जीतती है या नया, नव ऊर्जा से सजा नवीन ।
उत्साहित नवीन प्रस्तावना या कुत्सित समाप्त प्रायः उपसंहार
जो भी आपके कभी सहपाठी ,सहकर्मी ,सहयोगी ,पारिवारिक सदस्य ,प्रतियोगी ,मित्रादि किसी काल क्रम में रह चुके है उनसे आपका दृश्य या अदृश्य ,ज्ञात अथवा अज्ञात लगाव ,दुराव , ईर्ष्या ,प्रेम सम्बन्ध बना ही रहता है जो आपको आपके अन्दर ही तरह तरह से छेड़ते ,उत्तेजित ,आंदोलित ,हाई या लो , अप या डाउन करता ही रहता है
शुरूआती निर्णय लेने की प्रक्रिया कठिन है । बाद में तो अनुपात का उचित ज्ञान भी हो जाता है और आदत भी पड़ जाती है । शुरुआत में असफलता का विचार भी डरावना लगता है । क्रमशः समझ में आ ही जाता है कि असफलता के मार्ग से ही सफलता तक पहुँचा जा सकता है ।
निर्णय ले लेना एक कला है ।एक अवसर है । एक क्षमता है । एक परीक्षा है ।
A few thousand CCtv at all the mining sites will change the flow of black and glow of Mafia provided any one man ore institution has the guts.
Unaccounted mineral etc mining is the root cause of industrial Black, political Clout and bureaucratic corruption and percolates up to villages and agriculture and has been purposely not discussed in media or public.
An organised scam...
यहाँ सब कुछ मैनेज होते आया है ,बस लगना पड़ता है ।पट्टपूर्ति का राज भी । बाबी कांड पटना भी । अपनी मन चाही बहाली ,पोस्टिंग भी। रिजल्ट ,ठेका ,फैक्ट्री ,न्यूज ,टी वी, केश ,मुकदमा ,इन्वेस्टिगेशन , मिनिस्ट्री ,वोटिंग , फैसला - सारे फैसले ।
जो जितनी दूर तक और ऊपर तक लगा या लग सका या जिसका लह सका वह तो नरसिम्हा राव ,जो नहीं लगा वह एक वोट से जाने वाला बाजपेयी ।
जो जितनी दूर तक और ऊपर तक लगा या लग सका या जिसका लह सका वह तो नरसिम्हा राव ,जो नहीं लगा वह एक वोट से जाने वाला बाजपेयी ।
जिसको त्रेहन को भी मैनेज करना आया वह बच गया सी बी आई कस्टडी से ।
या डीए केस @ मुनिलाल के रास्ते।
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