Wednesday, 22 March 2017

सच तो यह है कि समय निरन्तर निःशब्द निर्विकार चला जा रहा है , कल के गर्भ से आया आज और अभी के रास्ते अनन्त कल -अनन्त भविष्य के लिये चल पड़ा ,- एकदम निश्चिन्त , अपनी गति ,अपनी मति से -

यदि आप से कोई गलती हो ही गई हो तो उसे कम से कम अपनी बाद वाली पीढ़ी के सामने स्वीकारे ,उसे गलत है ,ऐसा समझायें ,समझें । खामखाह अपने पाप को उस तरह से सजा के न दिखाये की नई पीढ़ी पाप को ही स्वभाव या पुण्य या नियति मान बैठे । अपने पाप से नई पीढ़ी को जन्म के साथ ही बोझिल न करे । नई पीढ़ी को अपना पाप बताये औऱ यह भी बताये की इस पाप को नई पीढ़ी को झेलना नहीं चाहिये ।
बस अपने पाप को पाप जान तो लीजिये ,मान तो लीजिये ,आपसे यह या वह पाप हो गया है ,जो हो गया वह पाप था बस इतना स्वीकार करते बताते जाईये ।अपने पाप से खुद को महिमा मंडित न करे ।

Law is proportionate justice hence a part of liberty cut to accommodate the other side.
Liberty amputed as per law hurts and is often perceived as injustice .

Every Public office comes with chains and costs freedom of the incumbent .
If you opt for the public office you must pay that cost and take the chains also.
We have players , dancers , accused , convicts , traitors , manipulators , scoundrels , porn-stars , liquor-barons, Pan-masala-Zarda Barons ,Matka-Satta-Barons , Riotists , as our HEROS...

Tuesday, 21 March 2017


RSS today is not RSS @1947 .
It is Modified , tamed by .... M......,
So many U turns are publicly visible.........
Many embarrasements to old RSS are also even openly conceded.
Post Independence ,RSS has learnt several political lessons and experienced several jerks, jumps ,jolts .
Post independence era walk was never a cake walk . It was a walk of transformation and up to strength after plugging several loop-holes and remaking the loose ends.
A journey from an apprehensive thinking to comprehensive working.. ,
A think tank to work force.. ,
A dream to accomplishment

Let the JNU cry once more please , they will be stronger.
Nothing helped them more than those slogans.
Let them (JNU ) unite and raise further cry and they will be strongest .
Can't sanity prevail .
Serving the whim of power is blatant dishonesty , greatest disservice to self ,to society and to time.

प्रेम और प्यार में दया , करुणा ,एहसान , उपकार का कोई स्थान नहीं होता। प्रेम समर्पण है , परस्पर स्पंदन है पर विनिमय- लेनदेन -हिसाब-किताब नहीं।

यह त्याग का अधिकार है। मुझे अधिकार है आपके प्रति त्याग करने का। प्रतिफल का तो कोई विचार ही नहीं। प्रेम में प्रतिफल का अनुपस्थित है।

प्रेम में दाता भाव नहीं आता। कोई उपकृत या उपकारी होता ही नहीं। कोइ दयालु या दया का पात्र है ही नहीं। यहां कृपालु कोइ नहीं , न ही कृपाकांक्षी।

प्रेम एक सम्पूर्ण भाव है। सब कुछ इसी में आ कर समा सकता है , सब कुछ इसी से निकल ,उग सकता है। यह है तो है , नहीं है तो नहीं है। थोड़ा प्रेम , कम प्रेम , अधिक प्रेम , आ रहा है प्रेम , जा रहा है प्रेम - यह सब प्रेम की दुनिया में नहीं है। है तो है , नहीं तो नहीं।

प्रेमी ही प्रेम को जान -पहचान सकता है।

जिसने प्रेम रस चख लिया वह बस उस के आलावा कोइ और रस चखने के लायक रह ही नहीं गया।

Only few days in last 61 years is mine, rest is co-shared with family members,
Nothing really or strictly exclusively personal.
Moments of deviation not ruled out.
Cannot say what that was ?
प्रेम और प्यार में दया , करुणा  ,एहसान , उपकार का कोई स्थान नहीं होता।  प्रेम समर्पण है , परस्पर स्पंदन है पर विनिमय- लेनदेन -हिसाब-किताब नहीं।
यह त्याग का अधिकार है। मुझे अधिकार है आपके प्रति त्याग करने का।  प्रतिफल का तो कोई विचार ही नहीं।  प्रेम में प्रतिफल का  अनुपस्थित  है।
प्रेम में दाता  भाव नहीं आता।  कोई उपकृत या उपकारी होता ही नहीं।  कोइ दयालु  या दया का पात्र है ही नहीं। यहां कृपालु कोइ नहीं , न ही कृपाकांक्षी।
प्रेम एक सम्पूर्ण भाव है।  सब कुछ इसी में आ कर समा सकता है , सब कुछ इसी से निकल ,उग  सकता है। यह है तो है , नहीं है तो नहीं है।  थोड़ा प्रेम , कम प्रेम , अधिक प्रेम , आ रहा है प्रेम , जा रहा है प्रेम - यह सब प्रेम की दुनिया में नहीं है।  है तो है , नहीं तो नहीं।
प्रेमी ही प्रेम को जान -पहचान सकता है।
जिसने प्रेम रस चख लिया वह बस उस के  आलावा कोइ और रस चखने के लायक रह ही नहीं गया।

Thursday, 9 March 2017

I have been a judge and an advocate . Advocate for long 14 years . Judge for long 19 years . Ground realities that the law agencies face or the judges face is different . I have seen whole bar behind most dreaded accused and advocates escorting accused as private security men just to prevent interrogation of the accused in police custody by the police .
The same bar had other argument when the victim was a member of bar . Arguments are on record to support two different view . 
A view for the organised crime perpetrator biggies .. the other for the piggies ...
We have both views...

Friday, 3 March 2017

बिना बिचारे मन माफिक स्वतंत्रता को जो लोग भोगना चाहे , जब मर्जी जिधर बहकना ,महकना चाहे , अपने मन का सोचना चाहे ,करना चाहे , जब मर्जी उधियाना ,उफनना चाहे ,बिना जिम्मेवारी के जीना और मर जाना चाहे - उन्हें निश्चयात्मक होने की कोई जरूरत ही नहीं।

मेरे कल से मुँह छिपाते , मुँह मोड़ते ,
मेरे आज से ईर्ष्या ,क्यूँ आँख फाड़ते
अभी कितने दिन रात बाकी है देखो
मैं जहाँ जाकर रुकूँगा, वही मिसाल

कुछ लोग सपने देखने में लगने वाली उर्ज़ा बचा केवल हकीकत बनते बनाते रहते है और दूसरे लोग उसे बेबसी से निहारते रहते है ।
हर हकीकत सपनो वाली आँखों मेँ समा जाये ,जरूरी नहीं ।
लगातार चलते पाँव हाथों ने बिना सोई जगती आँखों ने जलते जलते इन हकीकतों में जान डाली है ।

Judiciary would not drive the state or nation or its people but would certainly regulate the traffic , challan the overloaded , speeding , show the right directions , parking slots , zebra crossings , the signals and those only one way and dead end....
It has a duty , authority and obligation to say, call or even shout , " Halt ", "No ", "Out" , "Not Out" , "Bad Light- No Play "

A spark is enough. A move is enough . a friction is enough .
You the young ignited mind, get the spark for me , get the move for me , get the friction for me.....
Togetherness ..... the only way to transformation !

Can't we love our fellow men.
Show of love and spending lavishly on dogs is only an exhibition that your fellow beings are even less important for you .
सीखना जो चाहे दिल तो फ़िजा से सीख लेता है...
I cannot afford getting irritated. I have to love the teacher within the judge...

I Must concede , I am not a match for your efforts ,skill ,zeal ,hands ,head ,and heart.
The way you do ,throw and secure mesmirises me..

केवल अनुच्छेद 32 , 142 , 226 , 227 के भरोसे आप देश को नहीं चला सकते न हीं न्याय दे सकते है , स्थानीय स्तर पर O 39 R 1 ,2 को मजबूत करें ।
यह अत्यंत आवश्यक है, प्रभावकारी है और अनुमण्डल स्तर तक जन सुलभ है और लगभग वह सब कुछ प्रभाव पैदा कर सकता है जो अन्याय को तत्काल दूर करने के लिये आवश्यक है। 

अफ़सोस है , सिविल डिस्प्यूट और रिमेडी अब इतिहास की सी बात हो गई ।
लगता है बड़े कोर्ट के वकीलों ने अपने ब्यवसायिक लाभ के लिये इंजंक्शन के ज्यूरिस्डिक्सन को रिट के ज्यूरिस्डिक्सन से किडनैप करवा दिया ।
छोटे छोटे कोर्ट के वकील भी बड़े वकीलों के इस खेल को समझ नहीं पाये।
इंजंक्शन या बेल वे रिमेडी है जो अपने मवक्किल को दिलाने से वकील की इज्जत ,मान बढ़ता है ।बड़े वकीलों से मिलने वाली कर्टसी छोटे स्टेशन के वकील को मिलने वाली फीस से बड़ी होती है।
छोटे कोर्ट को रिलीफ नहीं देने के लिये प्रेरित ,बाध्य करने वाली बहुत सी शक्तियॉ है ।
आओ ,मैं तुम्हें अपनी सारी कमजोरी खुद ही बता दूं,अपना अमृत कुण्ड दिखा समझा दूँ ताकि मुझे जीतने के लिये ,मेरे पर विजय प्राप्त करने के लिये तुम्हें किसी को विभीषण नही बनाना पड़े ।

मैं हूँ , मैं मैं ही हूँ , मुझे उस पैकिंग की जरूरत नहीं जहाँ मेरे मैं का दम घुटने लगे ।
मैं रहूँगा तभी न मैं रहूँगा ।
मेरा दम घुट ही जाये तो मैं कैसे रहूँगा ।
रही बात तुम्हारी ,अब तक तुम पैकिंग अधिक के अभ्यस्त थे ,अब धीरे धीरे पैकिंग कम के भी अभ्यस्त हो ही जाओगे ।

नये को कमतर आंकने की भूल अपने गुमान में ऐंठी हर पुरानी पीढ़ी का हर नट बोल्ट भी करते रहता है और नई मोटर , नये जेनरेटर के बारे में पुराना स्क्रू भी ओपिनियन ही नहीं देता,हर नये को पास फेल करते रहता है - मै भी ठहरा पुराना और अपवाद भी नहीं ।
सॉरी नये दोस्तों..

At times there can be more justice without law or beyond law . Sometimes law hinders the way to justice .
Law is not the sole source of justice .
An advocate is a member of Justice army and a judge is the member of constitutional army .
Both have only one religion that is constitutionalism.
Both are only and only constitutionalist bretheren on either side of justice coin..

Do we really create or produce or we are merely manager of assembly lines , mixture plants and get dictations to act as per command or act as directed .
What did we really create with our own deeds, mind and stamp ?
We have some software but there you need only brain and not much of material or hands .
Something in DRDO ,ISRO .....! Yes
Some innovative collection , analysis , indexing and interpretation of POKHRAN II data : Yes : ( But we cannot share that )

Law not , Justice .
Get hungry not for law but for justice.
A lawyer leads the judge up to the destination 'Justice' through the pathway of law ... some times insists the judge to chisel out law to match justice , some times to hammer out or ioroun out law to reach up to justice .

दूसरे का यश या श्रेय इतना जलाता क्यों है ?
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आपकी खुशियाँ मुझे और मेरी खुशियाँ आप सभी को भी प्रसन्नता दे ,खुशो दे , सन्तोष दे ।क्या हम आप बाँट कर खुश और यशश्वी ,संयुक्त रूप से विजयी नहीं हो सकते ।

उगती नींव जितना स्फुरण पैदा करती है ,ऊंघती नींव उतना ही क्षोभ ।
नींव उभरती ,जगती ही भली ,दरकती ,सोई नींव किसी को न मिले।

अफ़सोस है , सिविल डिस्प्यूट और रिमेडी अब इतिहास की सी बात हो गई ।
लगता है बड़े कोर्ट के वकीलों ने अपने ब्यवसायिक लाभ के लिये इंजंक्शन के ज्यूरिस्डिक्सन को रिट के ज्यूरिस्डिक्सन से किडनैप करवा दिया ।
छोटे छोटे कोर्ट के वकील भी बड़े वकीलों के इस खेल को समझ नहीं पाये।
इंजंक्शन या बेल वे रिमेडी है जो अपने मवक्किल को दिलाने से वकील की इज्जत ,मान बढ़ता है ।बड़े वकीलों से मिलने वाली कर्टसी छोटे स्टेशन के वकील को मिलने वाली फीस से बड़ी होती है।
छोटे कोर्ट को रिलीफ नहीं देने के लिये प्रेरित ,बाध्य करने वाली बहुत सी शक्तियॉ है ।

मैं बाँटने , बँटने , मिलने ,जुलने ,परामर्श ,समाधान ,विचार ,विमर्श ,लेखन ,शिक्षण ,प्रशिक्षण ,अध्ययन ,अध्यापन के लिये उपलब्ध हूँ - पूर्व सुचना एवं उपलब्धता पर ,स्वैक्षिक भाव से ।
But you will have to get me , chase me and take me.....

क्या असहमति सीधे घृणा और हिंसा से शुरू ही हो जरूरी है ?
पूर्वनियोजित प्रचारात्मक असहमति जिसका उद्देश्य ही उकसाना हो ,एक विकृति है ,उसकी अनदेखी ही भली अन्यथा वैसे लोगों को भविष्य के लिये भी रास्ता मिलता जायेगा नये षड्यंत्र कर आपकी ऊर्जा नष्ट करने का।
You cannot move in the past ...... nothing can be made to move in the past ...... we always move forward....... old is gone...... nothing can stop old from going and new from growing......
मैंने अपने अपने एक मनबढु मित्र से अश्लील अत्याचार से बाज आने को कहा ( सन 1980 ) तो उसने बड़ी बेशर्मी से कहा कि बिगहा बारी पर जमीन देके बसाया गया है इन लोगों को क्यों ,इसी के लिये न ।

क्यों लगता है कि बस पिछले दो तीन साल में ही भारत बना या बिगड़ा ।
किसी एक के भरोसे देश !
क्या कोई एक ही है देश ?
किसी एक का विरोध क्यों हो जाता देश का विरोध ?
या फिर सारी ताकत एक के ही विरोध के लिये ?
क्या वह एक इतना प्रतापी है कि आप का सारा समय , कौशल , बल ,बुध्दि ,चातुर्य ,ज्ञान ,कला उस एक के विरोध करने में असमर्थ है ?
दोनों ओर अतिरेक !!
दोनों और अतिश्योक्ति !!
 

राजनीति में आखिर नैतिकता देखते या खोजते क्यों हो ?
हाँ ,यदि खुद समाज में यह है तो क्या मजाल राजनीति कोई दूसरी भाषा बोले ,कोई दूसरा रंग घोले या इनसे अलग रहे ।

Most of the pleadings are paid ones ,hence unfair to poor .
Manipulations cost heavily hence poor cannot afford.
The arguments before the top court are for and by the top slot of society, quite often at the cost of the marginalized .....

एक आयातित विचार जो लगभग त्यक्त हो चुके है, जिनकी उपयोगिता कब की नष्ट हो चुकी है कि लाश ढो रहे अब भारत में नित्य नया स्वाँग रचते रहते हैं।
अपने आप को अप्रासंगिक जानते हुए भी अभी भी अपने पहले के पैदा किये अंधभक्तों के माध्यम से मीडिया में स्थान प्राप्त करते रहते है ।
मिडिया ऐंकर अपने ब्यक्तिगत पूर्वाग्रह से न केवल अपनी ब्यक्तिगत विश्वसनीयता खोते जा रहे है वरन अपने सारे मिडिया जगत पर संकट पैदा करते है ।
सच तो यह है कि साठ सत्तर सालों के पूर्वाग्रह और नया पूर्वाग्रह का संघर्ष है ।
नया ज्यादा प्याज खाता है। नये को आता देख पुराने सभी पूरी ताकत से जुटने लगते है ।
पुराने सभी को अपनी कमजोरियाँ पता है ।समय के प्रभाव से आ गया अवगुण भी लगभग सभी को पता लग गया है
नया तो नया है ।
उसकी सच्चाई, अच्छाई बुराई सब कुछ परखी जानी है ।
पुराना और पुराने , नये से अनभिज्ञ है । डरे रहते है ।
आया तो कहीं जम ही न जाये !
बस सारे पुराने एक हो नये को खदेड़ने लगते हैं ।
देखिये सड़े गले की चुकी फ़ौज जीतती है या नया, नव ऊर्जा से सजा नवीन ।
उत्साहित नवीन प्रस्तावना या कुत्सित समाप्त प्रायः उपसंहार

अल्प मति पुत्र तथा बहकी पुत्री के माता पिता क्या नहीं भोगते । उनकी ऊपर की हर हँसी कंठ तक विषाद - अवसाद में डूबी होती है ।
परमात्मा उनकी मदद करें ।
एक यात्रा में हमारे सीनियर्स ने बना दिया भ्र्ष्टाचार को शिष्टाचार , ऐसा की इस अत्याचार का विरोध कहलाता ब्यभिचार .....
जो भी आपके कभी सहपाठी ,सहकर्मी ,सहयोगी ,पारिवारिक सदस्य ,प्रतियोगी ,मित्रादि किसी काल क्रम में रह चुके है उनसे आपका दृश्य या अदृश्य ,ज्ञात अथवा अज्ञात लगाव ,दुराव , ईर्ष्या ,प्रेम सम्बन्ध बना ही रहता है जो आपको आपके अन्दर ही तरह तरह से छेड़ते ,उत्तेजित ,आंदोलित ,हाई या लो , अप या डाउन करता ही रहता है
दाम्पत्य जीवन के पहले दिन से ही दोनों पक्ष सोचते हैं कि उनका त्याग अधिक बड़ा है और धीरे धीरे उन्हें पता चलता है कि वे कितने हल्के थे ।दूसरे पक्ष की तपस्या धीरे धीरे सामने आती है । तब श्रद्धा आती चली जाती है ।

शुरूआती निर्णय लेने की प्रक्रिया कठिन है । बाद में तो अनुपात का उचित ज्ञान भी हो जाता है और आदत भी पड़ जाती है । शुरुआत में असफलता का विचार भी डरावना लगता है । क्रमशः समझ में आ ही जाता है कि असफलता के मार्ग से ही सफलता तक पहुँचा जा सकता है ।
निर्णय ले लेना एक कला है ।एक अवसर है । एक क्षमता है । एक परीक्षा है ।

A few thousand CCtv at all the mining sites will change the flow of black and glow of Mafia provided any one man ore institution has the guts.
Unaccounted mineral etc mining is the root cause of industrial Black, political Clout and bureaucratic corruption and percolates up to villages and agriculture and has been purposely not discussed in media or public.
An organised scam...
यहाँ सब कुछ मैनेज होते आया है ,बस लगना पड़ता है ।पट्टपूर्ति का राज भी । बाबी कांड पटना भी । अपनी मन चाही बहाली ,पोस्टिंग भी। रिजल्ट ,ठेका ,फैक्ट्री ,न्यूज ,टी वी, केश ,मुकदमा ,इन्वेस्टिगेशन , मिनिस्ट्री ,वोटिंग , फैसला - सारे फैसले ।
जो जितनी दूर तक और ऊपर तक लगा या लग सका या जिसका लह सका वह तो नरसिम्हा राव ,जो नहीं लगा वह एक वोट से जाने वाला बाजपेयी ।
जिसको त्रेहन को भी मैनेज करना आया वह बच गया सी बी आई कस्टडी से ।
या डीए केस @ मुनिलाल के रास्ते।
 

Wednesday, 1 March 2017

मेहनत ,बहते पसीने ,उडी हुई नींद ,लगातार चलते पांव - हाथ -आँख - दिमाग से बनता इंसान , न कि जबान की लंबाई से या कागज और रौशनाई से।