जब मैं जवाँ हुआ जा रहा था
मैंने भी एक बगीचा लगाया था।
कल आरा मशीन वाले आये थे
बगीचे में लकड़ी का अंदाज़ लेने।
पोतों. को देखा बुदबुदाते पापा से
इनको बनारस ले जाना पड़ेगा क्या ?
कमबख्त जुबाँ बन्द तो हो गई है
पर कान ,आँख मानते क्यूँ ही नहीं
मैंने भी एक बगीचा लगाया था।
कल आरा मशीन वाले आये थे
बगीचे में लकड़ी का अंदाज़ लेने।
पोतों. को देखा बुदबुदाते पापा से
इनको बनारस ले जाना पड़ेगा क्या ?
कमबख्त जुबाँ बन्द तो हो गई है
पर कान ,आँख मानते क्यूँ ही नहीं
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