यदि आप सचमुच एहसान फरामोश नहीं हैं , अपने प्रति किये गये उपकार को याद रखे हुए है, खुद के प्रति और अपने बाद की पीढ़ी के लिये सचेष्ट हैं तो हर नये को स्वयं सहारा देंगे , नये को पलंग पर सुलायेंगें ही, अपने से बढ़िया खिलायेंगें ही और कभी नहीं सोचेंगें कि अतिथि तुम कब जाओगे.
आप अपने दिन तो याद रख ही सकते हैं .
और हाँ, यदि आपने वास्तव में प्रैक्टीकल बनने का निर्णय ले ही लिये है तो वह निर्णय आपका हो सकता है , मेरा या हमारा नहीं.
एक नयै पौधे को कुछ दिन धैर्य पूर्वक सींच कर तो देखो, दो खुरपी चला ही दोगे तो क्या हो ही जायेगा. बस दो चार बार चार चार दाने खाद देने में इतना भारी कष्ट! .कुछ समय में तो पंछी खुद ही उड़ना सीख ही जायेगा. दो चार लोटा पानी , दो चार रोटियाँ, दो चार घन्टे का नाईट हाल्ट, इतना अखर गया.
चलो माना की तुम्हारी प्राइवेसी - लिबर्टी मे थोडी कटौती ही हो रही है. दो चार , दस दिन ही सही, क्या कुछ असुविधा बरदास्त नहीं की जा सकती
जरा याद करो उनको भी जिन्होंने मुझे बरदास्त किया , मेरों को शरण दी. क्या नहीं किया.
आप अपने दिन तो याद रख ही सकते हैं .
और हाँ, यदि आपने वास्तव में प्रैक्टीकल बनने का निर्णय ले ही लिये है तो वह निर्णय आपका हो सकता है , मेरा या हमारा नहीं.
एक नयै पौधे को कुछ दिन धैर्य पूर्वक सींच कर तो देखो, दो खुरपी चला ही दोगे तो क्या हो ही जायेगा. बस दो चार बार चार चार दाने खाद देने में इतना भारी कष्ट! .कुछ समय में तो पंछी खुद ही उड़ना सीख ही जायेगा. दो चार लोटा पानी , दो चार रोटियाँ, दो चार घन्टे का नाईट हाल्ट, इतना अखर गया.
चलो माना की तुम्हारी प्राइवेसी - लिबर्टी मे थोडी कटौती ही हो रही है. दो चार , दस दिन ही सही, क्या कुछ असुविधा बरदास्त नहीं की जा सकती
जरा याद करो उनको भी जिन्होंने मुझे बरदास्त किया , मेरों को शरण दी. क्या नहीं किया.
मेरे से भिन्न अपनी पुरानी वंश परंपरा का रास्ता तो सदैव खुला है .
अपना निर्णय अब खुद लो .
मुझसे डीटो करवाना कोइ आवश्यक तो नहीं.
पर मुझे अपने उचित मार्ग से कोइ भी विचलित नहीं कर सकता , मैं भी खुद को भी नहीं
अपना निर्णय अब खुद लो .
मुझसे डीटो करवाना कोइ आवश्यक तो नहीं.
पर मुझे अपने उचित मार्ग से कोइ भी विचलित नहीं कर सकता , मैं भी खुद को भी नहीं
No comments:
Post a Comment