Monday, 19 October 2015

नई पीढ़ी से मैं तो बहुत कुछ रोज सीखने की कोशिश करता हूँ, 
नहीं समझ में आता है तो भी कोशिश करना नहीं छोड़ता.
वे निसन्देह मेरे से बहुत जिम्मेवार पीढी़ के है , बस मेरे बाद बहुत तेजी से आये विकास एवं परिवर्तन के कारण मुझे अविश्वसनीय रूप से चकित कर देते हैं और मैं उनको अभी भी पुराने फ्रेम में ही देख रहा हूँ, आज से ४०-५० साल पुराना फ्रेम वस्तुतः पुराना और अनवर्केबल हो गया है , इसे मैं मानने को तैयार नहीं हूँ यद्यपि कि महसूस तो करने लगा हूँ.
चलिये देखता हूँ कब तक इन नये सभी को मेरी पुरानी पीढी की उपेक्षा से मुक्ति मिलती है.
क्या मैं अपने धकिया दिये जाने तक उनका विरोध करता ही रहूँगा . क्या वे सचमुच मेरे से सम्मान पाने के अधिकारी नही है
नई पीढ़ी को मान-सम्मान देने में मैं इतना हिचकिचा क्यों रहा हुँ?
नई पीढ़ी को पुरस्कार-ईनाम-ईज्जत-उत्साह-साधन-अधिकार देते , अभिनन्दन करते हुए विदा होना चाहता हूँ - वे मुझसे , मेरे अड़ियल-सठियायेपन से ऊब जायें , यह उचित तो नहीं प्रतीत होता.
नये तुम , सब कुछ तुम्हारा , आज और अभी से, मान -सम्मान -पुरस्कार पर प्रथम अधिकार तुम्हारा.
मेरी कृपा के कारण नहीं पर उसके अधिकारी हो ईसलिये..
तुम्हारी श्रेष्ठता मुझे स्वीकार है.

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