Friday, 9 October 2015

बड़े सपने देखो न , प्लीज !
कौन रोक लेगा.
बस थोड़ा सा और जगो,
लगो,
थकना मत,
तब भी नहीं, जब थक चुके हो ,
बस वहीं मुट्ठी बांध थक बार और
जगो,
लगो
भिड़ो
सपने बस अब अँकुरने लगेंगे
सपनों का संसार अब दिखेगा

No comments:

Post a Comment