Tuesday, 20 October 2015

आओ , कुछ कुछ भूल चलें , आगे बढ़ने का रास्ता इसी गली से निकलता हैं
एहसास हो तो तय इतना करना है, कि भूलोगे की नही, आगे बढँना है की नहीं.

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