Friday, 23 October 2015

जिस दिन तुम्हारे हाथ शमशीर आई और दिखी
तुम्हारी हर कलम सौ सौ बार मर ही चुकी होगी.
कलम की हार कबूल कर लो, यह मुझे मंजूर नहीं
तख्त के सामने जा कर जोर से बोलते ही क्यों हो
सारे आसमान में काले रंग से हे राम ! लिख देना
हर जालिम शमशीर का सर कलम हो चुका होगा

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