जिस दिन तुम्हारे हाथ शमशीर आई और दिखी
तुम्हारी हर कलम सौ सौ बार मर ही चुकी होगी.
तुम्हारी हर कलम सौ सौ बार मर ही चुकी होगी.
कलम की हार कबूल कर लो, यह मुझे मंजूर नहीं
तख्त के सामने जा कर जोर से बोलते ही क्यों हो
तख्त के सामने जा कर जोर से बोलते ही क्यों हो
सारे आसमान में काले रंग से हे राम ! लिख देना
हर जालिम शमशीर का सर कलम हो चुका होगा
हर जालिम शमशीर का सर कलम हो चुका होगा
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