Thursday, 1 October 2015

जीवन नितांत सुखा हुआ अनंत छिद्र वाला ब्लोटिंग पेपर नही है की सितम की सीलन से भी गलने लगेगा .
न हीं जीवन शुभ्र कोरा कागज होता है की एक दाग लग जाने भर से उसे रद्दी की टोकरी में फेंक ही दिया जाये .
जीवन जब भी जो भी हो उसे यत्न पूर्वक पूरा जीना होता है ,संभाल कर ,रस लेकर ,रस देकर . जीवन में अनंत अवसर आते है जब मरम्मत कर फिर से जीवन को खड़ा करना ही पड़ता है .

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