Thursday, 11 September 2014

एक समुन्दर इतना उफान मारता रहा
गरजता रहा रह रह कर
इतना कुछ अपने अंदर लिए
इतना गहरा ,इतना फैला
पर किसी को  मेरा यह समन्दर
न दिखा
न  सुनाई दिया
 यह मेरे भी अन्दर था
मुझे ही न दिखा
न सुनाई दिया। 

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