Friday, 26 September 2014

बता सकते हो  ?
सत्य कैसा होता है ?
कैसा दीखता है ?
कहाँ रहता है  ?
किससे कब मिलता है ?
क्यों होता है ?
हुए बिना रहता क्यूँ नहीं ?

यह मत कहना
सत्य सत्य होता है
सत्य सत्य जैसा दीखता है
सत्य है तो होगा ही
और सत्य सत्य के साथ ही उठता बैठता है
यह सब सुनते सुनते कान पक चुके हैं
अब्य्ह मत कहना
कि सत्य सभी जगह होता है
यह भी नहीं कि
यह सभी समय में होता है .

कान पक गये
यदि यही है तो
हर बार यह दुबका छिपा
क्यों रहता है
हर बार रूप बदलता क्यों रहता है
भागे भागे क्यों फिरता है ,
सामने क्यों नहीं आता ?

या की सत्य है ही नहीं !
सबसे बड़ी विडम्बना
"कि सत्य खिन है "

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