Friday, 5 September 2014

और वैसे भी एक जली रोटी किसी को ठेस नहीं पहुंचाती परन्तु कठोर-कटु शब्द जरूर बहुत ठेस पहुंचाते हैं। 
तुम्हें पता है बेटा - "जिंदगी भरी पड़ी है अपूर्ण चीजों से...अपूर्ण लोगों से... कमियों से...दोषों से...

मैं स्वयं सर्वश्रेष्ठ नहीं, साधारण हूँ और शायद ही किसी काम में ठीक हूँ।
मैंने इतने सालों में सीखा है "एक दूसरे की गलतियों को स्वीकार करना..

नजरंदाज करना.. 

आपसी संबंधों को सेलिब्रेट करना।

No comments:

Post a Comment