जिंदगी भरी पड़ी है अपूर्ण चीजों से...अपूर्ण लोगों से... कमियों से...दोषों से...
मैं स्वयं सर्वश्रेष्ठ नहीं, साधारण हूँ और शायद ही किसी काम में ठीक हूँ।
मैंने इतने सालों में सीखा है "एक दूसरे की गलतियों को स्वीकार करना..नजरंदाज करना..
यही तो मजेदार, रसदार जिन्दगी है .
इसी को कहते हैं "आपसी संबंधों को सेलिब्रेट करना "। ( उद्धरण आधारित Sinha Mithilesh )
मैं स्वयं सर्वश्रेष्ठ नहीं, साधारण हूँ और शायद ही किसी काम में ठीक हूँ।
मैंने इतने सालों में सीखा है "एक दूसरे की गलतियों को स्वीकार करना..नजरंदाज करना..
यही तो मजेदार, रसदार जिन्दगी है .
इसी को कहते हैं "आपसी संबंधों को सेलिब्रेट करना "। ( उद्धरण आधारित Sinha Mithilesh )
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