Monday, 8 September 2014

पंडत हमेशा भक्त को पाप करने की ही शिक्षा देता हैं.
वो धर्म के नाम पर भक्तो को सिखाता हैं - पाप कर फिर तीर्थ कर - पाप मिटेँगा 
इसीलिए पापी बढ़चढ़कर बे-इमानी करते रहते हैं -

धर्म के स्थल बे-इमानो के उद्धारकर्ता हैं 

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