टूटा हुआ भरोसा भी काम आता है
इतनी तो तस्दीक करता ही है
की कभी भरोसा था
डूब गया जो भरोसा , किस काम का
किसी को दीखता ही नहीं
उसके कभी होने की तस्दीक कौन करे .
पहचान होने भर भरोसा संभालो
वरना भरोसे की पहचान मिट जाएगी
शिनाख्त भी कैसे करोगे .
भरोसा उठ गया तो
रह ही क्या जायेगा
क्या तो पूजा ,कैसे होगी नमाज़
इतनी तो तस्दीक करता ही है
की कभी भरोसा था
डूब गया जो भरोसा , किस काम का
किसी को दीखता ही नहीं
उसके कभी होने की तस्दीक कौन करे .
पहचान होने भर भरोसा संभालो
वरना भरोसे की पहचान मिट जाएगी
शिनाख्त भी कैसे करोगे .
भरोसा उठ गया तो
रह ही क्या जायेगा
क्या तो पूजा ,कैसे होगी नमाज़
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