साम ,दाम ,दंड ,भेद , सामान्य जन केवल इन शब्दों को पढ़ भर पाते हैं , जान नहीं पाते.
इनकी प्रेक्टिकल क्लासेस केवल राजवंश तक ही सिमित रहती है .
केवल अभिजात्य वर्ग को ही इन चारों कलाओं को सांगोपांग जानने समझने का या प्रत्यक्ष देखने का अवसर मिलता है .
शेष तो केवल इन चारों विधाओं से उपचारित भर होते रहते हैं ,वह भी अनजाने में .
इनकी प्रेक्टिकल क्लासेस केवल राजवंश तक ही सिमित रहती है .
केवल अभिजात्य वर्ग को ही इन चारों कलाओं को सांगोपांग जानने समझने का या प्रत्यक्ष देखने का अवसर मिलता है .
शेष तो केवल इन चारों विधाओं से उपचारित भर होते रहते हैं ,वह भी अनजाने में .
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