लोक पदों पर अतिरिक्त मर्यादा का पालन तो करना ही पड़ता है ,अतिरिक्त दायित्व भी निबाहना पड़ता है . इस क्रम में ठीक से निबाह कर ले जाने पर न तो कोई तमगा मिलना है न ईनाम . इतना तो आपसे अपेक्षित ही है तभी तो आपको लोक पद धारण करने का अवसर मिला .यही अपेक्षा थी,और अपेक्षित कार्य के लिये कैसा ईनाम .
इस क्रम में स्वयं पर नियंत्रण की भी अपेक्षा थी .वस्तुतःलोक पद धरी ने स्वयं ही यह दायित्व स्वीकार किया है .उसने निजी स्वतंत्रता का दान देना स्वीकार किया है . उसे पद की सीमाओं का यथोचित ज्ञान होना ही चाहिए .दायित्व निर्वहन में आने वाले जोखिम का भी ज्ञान होना ही चाहिए .
कठोर मर्यादा,अनुशासन , जीवनचर्या आदि की शिकायत लोक पदों पर रहते हुए नहीं किया जा सकती . उपलब्ध साधनों में सर्वोत्तम विवेक से अधिकतम मानवीय मर्यादा का पालन करते हुए पद का दायित्व लोक हित में अपेक्षा के अनुरूप निबाहना ही स्वाभाविक है . अतएव उसके लिये किसी अतिरिक्त प्रशस्ति की उम्मीद नहीं रखना चाहिए .लोक पद ही स्वयं में प्रशास्ति है ,ईनाम है . लोक पद अर्थात लोक-आस्था -आधारित पद .
पर हाँ ,एक बार इस पद को धारण करने के बाद आपका असफल होना स्वीकार नहीं. आपकी असफलता क्षमा नहीं नांग सकती .लोक पद पर त्रुटि केवल निंदा को ही जन्म देगी .
अपेक्षा से अधिक मर्यादा पालन ,दायित्व निर्वहन ही इन पदों पर आपको अतिरिक्त यश प्रदान कर सकता है .
यह यश पद से अलग दिखने लगता है और पद से परे भी रहता है .यह यश प्रेम,श्रद्धा ,विश्वास देता है .
इस क्रम में स्वयं पर नियंत्रण की भी अपेक्षा थी .वस्तुतःलोक पद धरी ने स्वयं ही यह दायित्व स्वीकार किया है .उसने निजी स्वतंत्रता का दान देना स्वीकार किया है . उसे पद की सीमाओं का यथोचित ज्ञान होना ही चाहिए .दायित्व निर्वहन में आने वाले जोखिम का भी ज्ञान होना ही चाहिए .
कठोर मर्यादा,अनुशासन , जीवनचर्या आदि की शिकायत लोक पदों पर रहते हुए नहीं किया जा सकती . उपलब्ध साधनों में सर्वोत्तम विवेक से अधिकतम मानवीय मर्यादा का पालन करते हुए पद का दायित्व लोक हित में अपेक्षा के अनुरूप निबाहना ही स्वाभाविक है . अतएव उसके लिये किसी अतिरिक्त प्रशस्ति की उम्मीद नहीं रखना चाहिए .लोक पद ही स्वयं में प्रशास्ति है ,ईनाम है . लोक पद अर्थात लोक-आस्था -आधारित पद .
पर हाँ ,एक बार इस पद को धारण करने के बाद आपका असफल होना स्वीकार नहीं. आपकी असफलता क्षमा नहीं नांग सकती .लोक पद पर त्रुटि केवल निंदा को ही जन्म देगी .
अपेक्षा से अधिक मर्यादा पालन ,दायित्व निर्वहन ही इन पदों पर आपको अतिरिक्त यश प्रदान कर सकता है .
यह यश पद से अलग दिखने लगता है और पद से परे भी रहता है .यह यश प्रेम,श्रद्धा ,विश्वास देता है .
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