राजनीति परस्पर प्रतियोगी , विपरीत स्वभाव धर्म , प्रकृति के असम्भव समन्वय की कला है जिससे हम आप अपना -अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बना कर भी रखते हैं तथा अनंत आपने से ही विपरीत परिस्थितियों के प्रति समन्वय और सामंजस्य की दृष्टि रखने लगते हैं , लड़ते , झगड़ते हैं उसमे भी योजना दृष्टिं होती है।
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