Sunday, 13 July 2014

मैं लिख डालता हूँ , मुझे अपने आप से डर नहीं है। तुम पढ़ो यह इच्छा भी नहीं है। तुम क्या कहोगे इसकी भी फ़िक्र नहीं हैं। तुम आलोचना करोगे - फिकर नॉट।   तुम आरोप लगाओगे - फिकर नॉट।  मजाक उड़ाओगे - फिकर नॉट। बेफिक्र हो सको तो तुम भी कह सकोगे।
करने , लिखने , पढ़ने , कहने के लिए बेफिकर होना होता हैं।
सफाई तो ऐसे भी मांगी  जाएंगी। आरोप तो हर हाल में लगाये जाएंगे।
च्वायस  हमारी -आपकी है। 

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