राजदरबार में प्रवेश की अनुमति के लिये राजा की भक्ति ही अधिक आवश्यक है, राज्य या राष्ट्रभक्ति नहीं. राजवंशी को सहज प्रवेश प्राप्य है. सहज प्रशिक्षण और संरक्षण भी प्राप्त हो जाता है.
किसी भी संस्था में प्रवेश के पहले उस संस्था-पुरुषों के अन्तर्हितों के प्रति संपुर्ण समर्पण ही आवश्यक है - चाहे वह हित किसी भी तरह उचित सिद्ध नहीं भी किया जा सके तब भी . चाहे संस्था का हित भी प्रश्नों से आच्छादित ही क्यों न हो .चाहे अन्य हितों की उपेक्षा ही क्यों न हो .
और यह सब भी कला पूर्ण ढंग से होना चाहिये.
किसी भी संस्था में प्रवेश के पहले उस संस्था-पुरुषों के अन्तर्हितों के प्रति संपुर्ण समर्पण ही आवश्यक है - चाहे वह हित किसी भी तरह उचित सिद्ध नहीं भी किया जा सके तब भी . चाहे संस्था का हित भी प्रश्नों से आच्छादित ही क्यों न हो .चाहे अन्य हितों की उपेक्षा ही क्यों न हो .
और यह सब भी कला पूर्ण ढंग से होना चाहिये.
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