मधुमक्खी जिसके पास शहद बनाने की प्राकृतिक क्षमता है को शोषक तथा सिमान्त किसान को जमिंदार, सामन्त , उद्योग- व्यवसाय- वाणिज्य - सेवा को भ्रष्टाचार कहने वाले समाज को क्या कहूँ - क्या केवल नौकरों के भरोसे समाज रह भी पायेगा - जीवन में जो अनिश्चिन्तता है- रिस्क फैक्टर है - वह कौन वहन करेगा.
बार बार बाढ़- सुखाड़ के भय से भी जिसने खेती की अनिश्चिन्तता का वहन करना नहीं त्यागा उसे भूमिपति कह उसे जन-आक्रोश का टारगेट बना आखिर हम क्या हासिल करना चाहते हैं - मेरे जैसे कलम-घिस्सुओं के भरोसे समाज रहेगा.
जिनके भरोसे आपने सुरक्षित - यशस्वी - सुखदायक जीवन जिया उन्हें सार्वजनिक रूप से थैन्क यू भी नहीं कहते हम.
बार बार बाढ़- सुखाड़ के भय से भी जिसने खेती की अनिश्चिन्तता का वहन करना नहीं त्यागा उसे भूमिपति कह उसे जन-आक्रोश का टारगेट बना आखिर हम क्या हासिल करना चाहते हैं - मेरे जैसे कलम-घिस्सुओं के भरोसे समाज रहेगा.
जिनके भरोसे आपने सुरक्षित - यशस्वी - सुखदायक जीवन जिया उन्हें सार्वजनिक रूप से थैन्क यू भी नहीं कहते हम.
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