बुद्धि नहीं, विवेक धारण करने योग्य है।
केवल विधि नहीं न्याय धारण करने योग्य है।
कम से कम मानव के लिये केवल स्वार्थ धारण करने योग्य हो ही नहीं सकता।
प्रकृति ही परम धारणा है, धारणीय है।
केवल विधि नहीं न्याय धारण करने योग्य है।
कम से कम मानव के लिये केवल स्वार्थ धारण करने योग्य हो ही नहीं सकता।
प्रकृति ही परम धारणा है, धारणीय है।
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