भ्रम, भ्रान्ति और भय
केवल भटकाव
सहित्य का उपज हो
हो ही नहीं सकता
कुन्ठा से उपजा शब्दजाल्
विकृति पसारता
सहित्य की उपज हो
हो ही नहीं सकता
कितना भी सुन्दर शब्द
,छन्द,बन्ध नीरा
सहित्य की उपज हो
हो ही नहीं सकता
सर्वांग -गठित कविता हो तो भी
विकार और प्रतिकार
सहित्य की उपज हो
हो ही नहीं सकता
मंच ,बाजार, व्यवहार
व्यभिचार आधारित है तो
सहित्य का उपज हो
हो ही नहीं सकता
सहित्य का उपज हो
हो ही नहीं सकता
केवल भटकाव
सहित्य का उपज हो
हो ही नहीं सकता
कुन्ठा से उपजा शब्दजाल्
विकृति पसारता
सहित्य की उपज हो
हो ही नहीं सकता
कितना भी सुन्दर शब्द
,छन्द,बन्ध नीरा
सहित्य की उपज हो
हो ही नहीं सकता
सर्वांग -गठित कविता हो तो भी
विकार और प्रतिकार
सहित्य की उपज हो
हो ही नहीं सकता
मंच ,बाजार, व्यवहार
व्यभिचार आधारित है तो
सहित्य का उपज हो
हो ही नहीं सकता
सहित्य का उपज हो
हो ही नहीं सकता
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