मेरे पोस्ट को पढ़ कर समझने में अपने विवेक का प्रयोग करें .
कई बार समाज की विकृति को विक्षेप ,व्यंग ,अन्योक्ति ,अतिशयोक्ति ,अन्यथा आदि स्वरूपों में लिखना पड़ जाता है , वैसे पोस्टों का शाब्दिक अनुसरण श्रेय नहीं है . भाव नहीं समझना उचित नहीं .
समाज की गंदगी कई बार आपलोगों के सामने ज्यों की त्यों रख देता हूँ .
उसे देख समझ कर सावधान होना मेरा और आपका कर्तव्य है .
वैसे किसी दृश्य ,प्रकरण ,अध्याय को प्रकाश में लाना शायद मेरा दायित्व है .
कुटिल दृश्यों की गंदगी जानना ,जनाना ,देखना दिखना और फिर उन्हें उत्पत्ति-कारण -सहित समझना और ऐसी दुरूह कुटिलता -गंदगी को सभी को समझाना और उसे दूर करने का प्रयास करना ही सत्पुरुषार्थ है .
कई बार समाज की विकृति को विक्षेप ,व्यंग ,अन्योक्ति ,अतिशयोक्ति ,अन्यथा आदि स्वरूपों में लिखना पड़ जाता है , वैसे पोस्टों का शाब्दिक अनुसरण श्रेय नहीं है . भाव नहीं समझना उचित नहीं .
समाज की गंदगी कई बार आपलोगों के सामने ज्यों की त्यों रख देता हूँ .
उसे देख समझ कर सावधान होना मेरा और आपका कर्तव्य है .
वैसे किसी दृश्य ,प्रकरण ,अध्याय को प्रकाश में लाना शायद मेरा दायित्व है .
कुटिल दृश्यों की गंदगी जानना ,जनाना ,देखना दिखना और फिर उन्हें उत्पत्ति-कारण -सहित समझना और ऐसी दुरूह कुटिलता -गंदगी को सभी को समझाना और उसे दूर करने का प्रयास करना ही सत्पुरुषार्थ है .
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