Friday, 5 September 2014

पूरी जिन्दगी जो खुद १७-२०- २५ % से कभी उपर नहीं उठे और हर बार ग्रेस नम्बर के बूते ही पास हुए ,बहाल हुए ,प्रमोशन मिला  (रिजर्वेशन के कारण नहीं ) वे अब परीक्षक बन बैठे ,उन्हें पता ही नहीं ८०%-९०% आदि की क्षमता क्या होती है ,कभी देखा-समझा ही नहीं  कैसे पहचानेंगें !.
 उन्हें कभी हिम्मत ही नहीं होगी ७०-८०-९० या उससे अधिक भी नम्बर देने की. वे कल्पना ही नहीं कर सकते . वे आखिर अपनी क्षमता के अनुसार ही कल्पना करेंगें . उस लेवल का पढ़ा पाना तो उनके बूते की बात है नहीं . चाह कर भी नहीं पढ़ा सकते . जब खुद ही विषय का २०% लेवल वाला ज्ञान है तो कैसे ९०%  या उससे अधिक वाली पढाई करवा पायेंगें? . फिर परीक्षक भी बन गये ये महानुभाव . अब क्या होगा ?

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