Now going to leave after I have lived..
पर मेरा कर्तब्य है, धर्म है - अपना खट्टा-मीठा, उल्टा-पुल्टा, उचित-अनुचित, नैतिक-अनैतिक चला हुआ नई पीढ़ी को सांगोंपांग बताता जाऊँ, बिना किसी भय, संकोच, कंजूसी के।
पर मेरा कर्तब्य है, धर्म है - अपना खट्टा-मीठा, उल्टा-पुल्टा, उचित-अनुचित, नैतिक-अनैतिक चला हुआ नई पीढ़ी को सांगोंपांग बताता जाऊँ, बिना किसी भय, संकोच, कंजूसी के।
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