Sunday, 3 March 2019

Ramesh Rateria
Public
Feb 14, 2019
एक साधारण औकात के ब्यवसायिक परिवार एक इंजीनियरिंग पढ़ रहे युवक को कहते है -आओ आओ मिस्त्री जी।
पाइलट को कहते है - कैसे चल रहा है ड्राइवर साहब ?

एक वकील को दस रुपये का एक नोट फहरा कर बोलते है - नाच मेरी बुलबुल कि पैसा मिलेगा -वकील की औकात

एक सैनिक, सेना के कमीशन्ड अधिकारी तक को बोलते है - मेरे लिये मरने को तैयार हो जावो न , दो करोड़ तो हम ही दे देंगे।

सरकारी अधिकारियों को कहते है  कुत्ता

सिनेमा कर्मी को बोलते है -सब कुछ बिकता है।

नेता को बोलते है - सब को सब समय सभी रूपों में सुलभ

पढ़े लिखे लोंगों को बोलते है - नौकरों की जमात
किसान मजदूर, पल्लेदार, सफाईकर्मी को बताते है - आलसी और देते गाली
सिगरेट, पानमसाला, जर्दा, फाईब स्टार, कैसिनो, डांसबार, चाट-पकौड़े-गोलगप्पा स्टाल --
क्या यही है दुनिया

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