संकोच तोड़ना होगा।
क्या सोचेगा, यह छोड़ना होगा।
थोड़ा थोड़ा बेशर्म हो बंटना , बाँटना होगा।
सीखने, सिखाने का यही सिलसिला पुराना है।
अर्जुन कृष्ण से मित्र भाव बढ़ाये, दोनों ने परस्पर यह बढ़ाया, दोनो एक दूसरे को समझते गये, एक दूसरे से बंटते, बाँटते गये।अंत मे श्री कृष्ण अर्जुन के जिद्द के सामने झुक गये, श्री कृष्ण ने उसे अपना असली स्वरूप दिखा डाला। उसके पहले यो दोनों एक दूसरे से डरे हुए थे।
बस यही रास्ता है।
क्या सोचेगा, यह छोड़ना होगा।
थोड़ा थोड़ा बेशर्म हो बंटना , बाँटना होगा।
सीखने, सिखाने का यही सिलसिला पुराना है।
अर्जुन कृष्ण से मित्र भाव बढ़ाये, दोनों ने परस्पर यह बढ़ाया, दोनो एक दूसरे को समझते गये, एक दूसरे से बंटते, बाँटते गये।अंत मे श्री कृष्ण अर्जुन के जिद्द के सामने झुक गये, श्री कृष्ण ने उसे अपना असली स्वरूप दिखा डाला। उसके पहले यो दोनों एक दूसरे से डरे हुए थे।
बस यही रास्ता है।
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