ब्याज और स्वार्थ 24x7
के दुश्मन
(दीमक की तरह, लगातार बिना रुके, दिनरात)
मितब्ययिता एवं मित्रभाव
कभी न त्यागें।
खाने, त्योंहार, कारज-परोजन, शादी, श्राद्ध के लिये कर्ज न लें, न दें।
के दुश्मन
(दीमक की तरह, लगातार बिना रुके, दिनरात)
मितब्ययिता एवं मित्रभाव
कभी न त्यागें।
खाने, त्योंहार, कारज-परोजन, शादी, श्राद्ध के लिये कर्ज न लें, न दें।
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