एक साधारण औकात के ब्यवसायिक परिवार एक इंजीनियरिंग पढ़ रहे युवक को कहते है -आओ आओ मिस्त्री जी।
पाइलट को कहते है - कैसे चल रहा है ड्राइवर साहब ?
एक वकील को दस रुपये का एक नोट फहरा कर बोलते है - नाच मेरी बुलबुल कि पैसा मिलेगा -वकील की औकात
एक सेना के कमीशन्ड अधिकारी को बोलते है - मेरे लिये मरने को तैयार हो जावो न , दो करोड़ तो हम ही दे देंगे।
सरकारी अधिकारियों को कहते है कुत्ता
सिनेमा कर्मी को बोलते है -सब कुछ बिकता है।
नेता को बोलते है - सब को सब समय सभी रूपों में सुलभ
पढ़े लिखे लोंगों को बोलते है - नौकरों की जमात
पाइलट को कहते है - कैसे चल रहा है ड्राइवर साहब ?
एक वकील को दस रुपये का एक नोट फहरा कर बोलते है - नाच मेरी बुलबुल कि पैसा मिलेगा -वकील की औकात
एक सेना के कमीशन्ड अधिकारी को बोलते है - मेरे लिये मरने को तैयार हो जावो न , दो करोड़ तो हम ही दे देंगे।
सरकारी अधिकारियों को कहते है कुत्ता
सिनेमा कर्मी को बोलते है -सब कुछ बिकता है।
नेता को बोलते है - सब को सब समय सभी रूपों में सुलभ
पढ़े लिखे लोंगों को बोलते है - नौकरों की जमात
किसान मजदूर को बताते है - आलसी
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