शराब की दुकानें बिना खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के लाइसेंस से चल रही हैं। कभी भी जांच के लिए शराब का सैंपल नहीं भरा गया। साथ ही शराब दुकानदार शराब खरीदने पर उसकी रसीद भी नहीं देते है। अगर कोई उपभोक्ता उनसे रसीद मांगता भी है तो उसको रसीद नहीं दी जाती है। सभी शराब की दुकानदार यह ‘खेल’ करते है। जिसके चलते शराब पीने वालों को मजबूरी में बिना रसीद के ही शराब खरीदनी पड़ती है
Thursday, 28 February 2019
Monday, 25 February 2019
Competition is everywhere.
Setbacks are everywhere. Pitfalls are everywhere. They are bound to discourage you whether you are in Court, Office, industry, Factory, Expedition, Adventure, Trade, Profession, Art, Culture, Sports, Passion, Practice, War, Military, Space, Air, Sea, Mountains, even at the poles, Antarctica, Jungle.
Setbacks are everywhere. Pitfalls are everywhere. They are bound to discourage you whether you are in Court, Office, industry, Factory, Expedition, Adventure, Trade, Profession, Art, Culture, Sports, Passion, Practice, War, Military, Space, Air, Sea, Mountains, even at the poles, Antarctica, Jungle.
Sunday, 24 February 2019
Saturday, 23 February 2019
CAs have a fiduciary relationship vis a vis petty investors and are responsible to report the wholesome compliance and economic discipline to thousands of millions of equity investors.
CAs are the financial army personnel of an industrialised law driven state.
A goal, a respectable social goal often missed.
Sad , really sad.
CAs are the financial army personnel of an industrialised law driven state.
A goal, a respectable social goal often missed.
Sad , really sad.
CAs have a fiduciary relationship vis a vis petty investors and are responsible to report the wholesome compliance and economic discipline to thousands of millions of equity investors.
CAs are the financial army personnel of an industrialised law driven state.
A goal, a respectable social goal often missed.
Sad , really sad.
CAs are the financial army personnel of an industrialised law driven state.
A goal, a respectable social goal often missed.
Sad , really sad.
चोर को थाना, पुलिस, वकील, CA, टैक्स अफसर सब दुहते है। चोर डरा तो अंदर से होता ही है, चोरी के माल में से खुले भाव से बाँटता रहता है।
भारत में टैक्स की चोरी को कोई पाप नहीं मानता।
टैक्स देने वाले को लोग उल्लू बताते हैं।
सारा तंत्र, वकील (इधर या उधर ), CA टैक्स चोरी करने के नये नये रास्ते, कानून तोड़ने के रास्ते खोजने में ब्यस्त है, सरकार, समाज जाये भाँड़ मे।
भारत में टैक्स की चोरी को कोई पाप नहीं मानता।
टैक्स देने वाले को लोग उल्लू बताते हैं।
सारा तंत्र, वकील (इधर या उधर ), CA टैक्स चोरी करने के नये नये रास्ते, कानून तोड़ने के रास्ते खोजने में ब्यस्त है, सरकार, समाज जाये भाँड़ मे।
If one seriously wants to pursue a career as a CA, one will have to assess the focus area of specialisation, whether one wants to go into the industry or practice. Unless the ICAI changes its role, and becomes more of a quality educator rather than an institute which is flooding the market with ‘qualified’ CAs, who do not find jobs, it would be better to look at other career options.
Instead of breaking or cherry-picking the rules, many just follow the inner rules, which have been instilled during their lifetime and have subtly permeated their thinking. They value rules, as it offers the ravishment of a securing, ceremonial rhythm in life and it prevents them from breaking free from their cocoon, all the more because freedom can be so scaring and exhausting.
The world's 261 international river basins, covering 45 percent of Earth's land surface (excluding Antarctica), are shared by more than one nation.*Even the most cordial and cooperative of neighboring nations have found it difficult to achieve mutually acceptable arrangements to govern their transboundarysurface waters, even in relatively humid regions where fresh water usually is found in sufficient abundance to satisfy most or all needs. When nations are located inaridregions, conflicts become endemic and intense despite otherwise friendly relations or even membership in a federal union. Little wonder the English language derives the word "rival" from the Latin word"rivalis,"meaning persons who live on opposite banks of a river used forirrigation.
Read more: http://www.waterencyclopedia.com/La-Mi/Law-International-Water.html#ixzz5gL639PYc
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Friday, 22 February 2019
Thursday, 21 February 2019
Tuesday, 19 February 2019
गद्य कवियों का निकष है, निबंध हिंदी गद्य का निकष है।
आधुनिक हिंदी का निर्माण भारतेंदु के समय निबंध से ही शुरू हुआ, दूसरे संपूर्ण भारतीय चिंतन इस माध्यम से ही मुखरित हुआ। कवि-कर्म की कसौटी आज भी निबंध है। कवि को संवेदन सघनता और छंद का सहारा होता है पर, इन दोनों के प्रलोभनों को नियंत्रित करके आंतरिक लयबद्धता की ओर अपने को पूर्ण लय में संपृक्त कराते हुए भी, बीच-बीच में अपने को अलग कर देने की अपेक्षा निबंधकार से की जाती है।
निबंध एक ऐसी विधा है कि इसमें प्राथमिक कक्षा के निबंधों से लेकर शोध-निबंध भी आते हैं, विचार प्रधान निबंध भी।
और इस समय, जब विधाएँ टूट रही हैं, एक-दूसरे का अतिक्रमण करते हुए एक-दूसरे में प्रवेश कर रही हैं तब डायरी, संस्मरण, रिपोर्ताज, शब्द-चित्र भी इसी के अंतर्गत लिए जा सकते हैं। हिंदी आलोचना के खतियान का यह उत्कर्ष है।
लेकिन जिस निबंध को निबंध की कसौटी या उत्कर्ष माना जाता है, वह है ललित या व्यक्ति व्यंजक निबंध। यह गद्य की निहायत रम्य और आत्मीय विधा है। यह व्यक्ति की स्वाधीन चिंता का सहज रूपांतरण है और बतरस वाली इसकी मुक्त और उच्छल प्रकृति में लालित्य का सहज उल्लास मिलता है। संवेदना की दीप्ति में जो लालित्य होता है या जो भाव-संवाद नैसर्गिक बल कहीं में मिलता है वह ज्ञान-गुमान और शास्त्र-चिंतन के बोझ-तले दब जाता है। बतरस जैसी स्वच्छंद प्रकृति होती है ललित निबंध की। विधा की अर्गला से मुक्त लेकिन भाव की अर्गला से श्रृंखलित और अनुशासित। गपशप की ललित मुद्रा प्रज्ञा को आलोकित करनेवाले कोण की रचना करती रहती है और तभी बतकही की बात-बात में निकलने वाली बात, एक निरर्थक आलाप-विलाप-संलाप न होकर संवाद के विशिष्ट आस्वाद से संपन्न होती है।
Sunday, 17 February 2019
Friday, 15 February 2019
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्यूरोक्रेट्स के अलावा सूचना आयुक्तों को किसी और क्षेत्र से जैसे एकेडमिक्स, पत्रकारिता, वकालत या विज्ञान के क्षेत्र से किसी को क्यों नहीं चुना जाता.'
सुप्रीम कोर्ट से पूछो कि हाईकार्ट के वकील के अलावा जजों को किसी और क्षेत्र से जैसे एकेडमिक्स, यूनिवर्सिटी, जिला के वकालत खानों से या अन्य विधिमान्य क्षेत्र से किसी को क्यों नहीं चुना जाता.'
सुप्रीम कोर्ट से पूछो कि हाईकार्ट के वकील के अलावा जजों को किसी और क्षेत्र से जैसे एकेडमिक्स, यूनिवर्सिटी, जिला के वकालत खानों से या अन्य विधिमान्य क्षेत्र से किसी को क्यों नहीं चुना जाता.'
Thursday, 14 February 2019
लगभग 30 साल पुरानी बात है। एक बृद्ध नाम जी अपने 13 वर्षीय नाती को ले मेरे काम करने की जगह आ गए। कहने लगे यह जब से आया है इसका हमारे पास मन ही नहीं लग रहा। जाने जाने को कह रहा है। कृपया आप इसका मन लगाएं।
मैंने उन वृद्ध सज्जन को कहा कि आप कैसी बात कर रहे है।
वह बालक बोल उठा, आप नानाजी को क्यों बोल रहे है, नानाजी ने बस आपके बारे में बताया भर है, मैं आया तो अपने मन से हूँ।
में बालक का आत्मविश्वास देख दंग रह गया। पता चला बोकारो DPS का क्लास 8 का विद्यार्थी है।
मैंने पूछा - मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दोगे।
बालक बोलता है - पूछिये, में जानता हूँ आप अवश्य कुछ पूछेंगे मुझे जानने पहचानने के लिये।
मैंने पूछा - किन्ही चार लोगों का नाम लो जिनके मुँह से आप अपना नाम सुनना पसंद करोगे।
उसने तड़ाक से जबाब दिया -
गाँव मे मेरी दादी है-अब बहुत दिन नहीं जियेगी उसके मुँह से, मेरे भैया की एक बेटी है, अभी बहुत छोटी है, बोलना शुरू नहीं कि है ,उसके मुँह से, अपने क्लास टीचर प्रिंसिपल के मुँह से, और टी वी के न्यूज एनाउंसर के मुँह से।
उसका जबाब मुझे आज भी ज्यों का त्यों याद है। चमत्कृत करता है
मैंने उन वृद्ध सज्जन को कहा कि आप कैसी बात कर रहे है।
वह बालक बोल उठा, आप नानाजी को क्यों बोल रहे है, नानाजी ने बस आपके बारे में बताया भर है, मैं आया तो अपने मन से हूँ।
में बालक का आत्मविश्वास देख दंग रह गया। पता चला बोकारो DPS का क्लास 8 का विद्यार्थी है।
मैंने पूछा - मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दोगे।
बालक बोलता है - पूछिये, में जानता हूँ आप अवश्य कुछ पूछेंगे मुझे जानने पहचानने के लिये।
मैंने पूछा - किन्ही चार लोगों का नाम लो जिनके मुँह से आप अपना नाम सुनना पसंद करोगे।
उसने तड़ाक से जबाब दिया -
गाँव मे मेरी दादी है-अब बहुत दिन नहीं जियेगी उसके मुँह से, मेरे भैया की एक बेटी है, अभी बहुत छोटी है, बोलना शुरू नहीं कि है ,उसके मुँह से, अपने क्लास टीचर प्रिंसिपल के मुँह से, और टी वी के न्यूज एनाउंसर के मुँह से।
उसका जबाब मुझे आज भी ज्यों का त्यों याद है। चमत्कृत करता है
इकतीस साल हुए। एक नामी ब्यक्ति अपने 19/20 वर्षीय IITian पोते को ले मेरे परिवार के प्रतिष्ठान पर पहुँच गया। शायद उसे कुछ खरीददारी करनी थी। बहुत छोटी।
थोड़ी ही देर में वह अपने दादा को भूल मुझमें रम गया। थोड़ी ही देर में मुझे डांट रहा था। मुझसे उलझ रहा था।
What the hell you are doing at this place ?
He cried " I say , why you are lying and wasting yourself."
He further shouted " your being here in this profile, format is a national loss, "
He asked " do you understand ?"
थोड़ी ही देर में वह अपने दादा को भूल मुझमें रम गया। थोड़ी ही देर में मुझे डांट रहा था। मुझसे उलझ रहा था।
What the hell you are doing at this place ?
He cried " I say , why you are lying and wasting yourself."
He further shouted " your being here in this profile, format is a national loss, "
He asked " do you understand ?"
एक साधारण औकात के ब्यवसायिक परिवार एक इंजीनियरिंग पढ़ रहे युवक को कहते है -आओ आओ मिस्त्री जी।
पाइलट को कहते है - कैसे चल रहा है ड्राइवर साहब ?
एक वकील को दस रुपये का एक नोट फहरा कर बोलते है - नाच मेरी बुलबुल कि पैसा मिलेगा -वकील की औकात
एक सेना के कमीशन्ड अधिकारी को बोलते है - मेरे लिये मरने को तैयार हो जावो न , दो करोड़ तो हम ही दे देंगे।
सरकारी अधिकारियों को कहते है कुत्ता
सिनेमा कर्मी को बोलते है -सब कुछ बिकता है।
नेता को बोलते है - सब को सब समय सभी रूपों में सुलभ
पढ़े लिखे लोंगों को बोलते है - नौकरों की जमात
पाइलट को कहते है - कैसे चल रहा है ड्राइवर साहब ?
एक वकील को दस रुपये का एक नोट फहरा कर बोलते है - नाच मेरी बुलबुल कि पैसा मिलेगा -वकील की औकात
एक सेना के कमीशन्ड अधिकारी को बोलते है - मेरे लिये मरने को तैयार हो जावो न , दो करोड़ तो हम ही दे देंगे।
सरकारी अधिकारियों को कहते है कुत्ता
सिनेमा कर्मी को बोलते है -सब कुछ बिकता है।
नेता को बोलते है - सब को सब समय सभी रूपों में सुलभ
पढ़े लिखे लोंगों को बोलते है - नौकरों की जमात
किसान मजदूर को बताते है - आलसी
साथ उनका मिले जो सीखते सिखाते चले, कुछ लें, कुछ दें, कुछ निराई गोड़ाई, सिंचाई करते करवाते रहे, न हो तो पुराने सूखे पत्ते ही मिले जिससे अंत में खाद तो बने, नमी तो बनी रहे।
कड़ी धूप से भी कीड़े मकोड़े मरते रहते हैं।
साथ बड़जन, सफल का लो। बड़ों को, स्थापित को साथ लो। उनके साथ उठो बैठो जो पहचान बना पायें है, जिन्हें दुनिया मानती समझती है।
*केवल मनोरंजन से बचो, केवल मनोरंजन के साथ से बचो।*
कड़ी धूप से भी कीड़े मकोड़े मरते रहते हैं।
साथ बड़जन, सफल का लो। बड़ों को, स्थापित को साथ लो। उनके साथ उठो बैठो जो पहचान बना पायें है, जिन्हें दुनिया मानती समझती है।
*केवल मनोरंजन से बचो, केवल मनोरंजन के साथ से बचो।*
लगभग 30 साल पुरानी बात है। एक बृद्ध नाम जी अपने 13 वर्षीय नाती को ले मेरे काम करने की जगह आ गए। कहने लगे यह जब से आया है इसका हमारे पास मन ही नहीं लग रहा। जाने जाने को कह रहा है। कृपया आप इसका मन लगाएं।
मैंने उन वृद्ध सज्जन को कहा कि आप कैसी बात कर रहे है।
वह बालक बोल उठा, आप नानाजी को क्यों बोल रहे है, नानाजी ने बस आपके बारे में बताया भर है, मैं आया तो अपने मन से हूँ।
में बालक का आत्मविश्वास देख दंग रह गया। पता चला बोकारो DPS का क्लास 8 का विद्यार्थी है।
मैंने पूछा - मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दोगे।
बालक बोलता है - पूछिये, में जानता हूँ आप अवश्य कुछ पूछेंगे मुझे जानने पहचानने के लिये।
मैंने पूछा - किन्ही चार लोगों का नाम लो जिनके मुँह से आप अपना नाम सुनना पसंद करोगे।
उसने तड़ाक से जबाब दिया -
गाँव मे मेरी दादी है-अब बहुत दिन नहीं जियेगी उसके मुँह से, मेरे भैया की एक बेटी है, अभी बहुत छोटी है, बोलना शुरू नहीं कि है ,उसके मुँह से, अपने क्लास टीचर प्रिंसिपल के मुँह से, और टी वी के न्यूज एनाउंसर के मुँह से।
उसका जबाब मुझे आज भी ज्यों का त्यों याद है। चमत्कृत करता है
मैंने उन वृद्ध सज्जन को कहा कि आप कैसी बात कर रहे है।
वह बालक बोल उठा, आप नानाजी को क्यों बोल रहे है, नानाजी ने बस आपके बारे में बताया भर है, मैं आया तो अपने मन से हूँ।
में बालक का आत्मविश्वास देख दंग रह गया। पता चला बोकारो DPS का क्लास 8 का विद्यार्थी है।
मैंने पूछा - मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दोगे।
बालक बोलता है - पूछिये, में जानता हूँ आप अवश्य कुछ पूछेंगे मुझे जानने पहचानने के लिये।
मैंने पूछा - किन्ही चार लोगों का नाम लो जिनके मुँह से आप अपना नाम सुनना पसंद करोगे।
उसने तड़ाक से जबाब दिया -
गाँव मे मेरी दादी है-अब बहुत दिन नहीं जियेगी उसके मुँह से, मेरे भैया की एक बेटी है, अभी बहुत छोटी है, बोलना शुरू नहीं कि है ,उसके मुँह से, अपने क्लास टीचर प्रिंसिपल के मुँह से, और टी वी के न्यूज एनाउंसर के मुँह से।
उसका जबाब मुझे आज भी ज्यों का त्यों याद है। चमत्कृत करता है
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