Wednesday, 8 February 2017


अजीब हैं ,हम ,आप और सब ।
अच्छे से अच्छे और बुरे से बुरे , नैतिक ,अनैतिक ,उचित ,अनुचित , लाभदायक अथवा नुकसानदेह , आरामदेह अथवा तकलीफदेह , सब कुछ के प्रति एक बार तीब्र अच्छी या बुरी प्रतिक्रिया करते है और शीघ्र ही उसी में रम जाते है ।
हमें सब कुछ स्वीकार सा है ।
हम अपने चारों और से कोई एक भी चीज ,भाव , पदार्थ समूल सर्वभावेन निकाल फेंकने के लिये सामूहिक तौर पर स्वेच्छया तैयार ही नहीं होते ।
बहुत जल्द गर्म और उससे पहले ठन्डे । गर्म के साथ गर्म ,ठंडे के साथ ठंडा ।
जो हमे जिधर चाहे हाँक लव जाये ।
पेट में बस जीने भर कुछ रहना चाहिये । मान अपमान की परवाह किये बिना हम जी लेते है ।

No comments:

Post a Comment