हथेली भर के गड्ढे में मुट्ठी दो मुट्ठी पानी में एकत्रित पानी में नहाते , किल्लोल करते देखता हूँ तो लगता है की मेरी भी यही स्थिति है।
बड़ के पत्ते से सुबह फिसलती ओस की बून्द को किसी कौए को पीने की चेष्टा करते देखता हूँ तो
बड़ के पत्ते से सुबह फिसलती ओस की बून्द को किसी कौए को पीने की चेष्टा करते देखता हूँ तो
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