आप की स्वीकृति या अस्वीकृति से भयभीत होने या चमत्कृत होने से मुझे क्या प्रयोजन ।
ये सब मुझे मेरे मार्ग से विचलित नहीं कर सकती ।
मैंने अपना मार्ग स्वविवेक से अपने बूते चुना है और एक एक कदम चला जा रहा हूँ ।
मैं हर समय हर ब्यक्ति को प्रियंकर ही लगू ,जरूरी नही ।
मुझे अप्रीतिकर राहों पर चलना ही होगा तो वह भी सही ।
आप मुझे नियंत्रित करने का विचार - स्वप्न त्याग कर कुछ हल्के तो हो ही सकते है ।
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