Friday, 4 September 2015

याद तो आयेगा तुम्हे भी वह दिन
जब एक सपने से तुम खेल गये थे
सपनों का आना, उनको यूँ पालना
पाले हुए सपनों संग तुम खेल गये थे
खेल में भरमाया था नन्हे सपनों को
अपनों के सपनों संग भी खेल गये थे
बच्चे सपने, कच्चे सपने ,सच्चे सपने
खेल गये जिन सपनों से,वे तो अपने थे
भूल गये अपनों को भी, वहशी बने जब
अपने ही सपनों संग यूँ खेल खेल गये थे

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