इतिहास मेरे आगे आगे ही चल पड़ा, मेरे पीछे कोई वृतान्त ही नहीं था इस लिये इतिहास अभी तक मुझसे दूर ही रहा ---
-------- और अब तो ईतिवृतों की श्रंखला मेरे आगे आगे ही चलती जायेगी - मेरे पसीने की सुगंध वाले फूलों के रंग के संग इतिहास को अब तो बनना ही पडे़गा
बस खुशामदियों द्वारा खिलाया पिलाया मुष्टण्ड अहंकार न तब था न अब न आगे, न आगे , न साथ ,न पीछे.
दे सका सो शीश झुका संकोच सहित दिया, न दे सका तो आँखें नीची , गर्दन झुकी- पर पश्चाताप नहीं - न कभी कोई पाप बोध , न पुण्य- कामना
जो सामने आया वह उन्हीं की प्रेरणा से उन्हीं का ध्यान करते हुए जैसा समझ में आया करते गये , आगे बढ़ते गये - न कोई लगाव, न दुराव, न आकर्षण, न तिरस्कार, न ईर्ष्या, न घृणा
-------- और अब तो ईतिवृतों की श्रंखला मेरे आगे आगे ही चलती जायेगी - मेरे पसीने की सुगंध वाले फूलों के रंग के संग इतिहास को अब तो बनना ही पडे़गा
बस खुशामदियों द्वारा खिलाया पिलाया मुष्टण्ड अहंकार न तब था न अब न आगे, न आगे , न साथ ,न पीछे.
दे सका सो शीश झुका संकोच सहित दिया, न दे सका तो आँखें नीची , गर्दन झुकी- पर पश्चाताप नहीं - न कभी कोई पाप बोध , न पुण्य- कामना
जो सामने आया वह उन्हीं की प्रेरणा से उन्हीं का ध्यान करते हुए जैसा समझ में आया करते गये , आगे बढ़ते गये - न कोई लगाव, न दुराव, न आकर्षण, न तिरस्कार, न ईर्ष्या, न घृणा
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