Saturday, 5 September 2015



चिन्तित विचारों को , मनन कर लिये गये साक्ष्यों को कल्पित धारणाओं को,परिश्रम की मंजूषा में सुरक्षित रखने से ही यश, श्रेय , वैभव ,प्रेरण् ,एवं शान्ति मिलती है .
परिश्रम की मंजूषा में यदि विचारों को सुरक्षित-संरक्षित- परिचारित नहीं किया गया तो वे कितने ही सुन्दर क्यों न हो , कितने ही अनमोल क्यौं न हौ , लुप्त हो जाते हैं
सुचिन्तित -सुविचारित परिश्रम ही परम साधन है और अन्तिम साध्य है

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