आश हो,
प्रयास हो,
भोर होते का प्रकाश हो,
अरुण का विकाश हो,
पूर्णिमा का आभाष हो,
जो भी हो अनायास हो,
क्षिति-जल आकाश हो,
बुभूक्षू का प्रथंम ग्रास हो,
पिपासु की प्यास हो
वैभव का विलाश हो,
प्रेरणा का तो प्रयास हो
न होना हताश,
न कभी निराश,
तुम तो मेरे विश्वास हो !
तुम तो मेरे विश्वास हो !!
प्रयास हो,
भोर होते का प्रकाश हो,
अरुण का विकाश हो,
पूर्णिमा का आभाष हो,
जो भी हो अनायास हो,
क्षिति-जल आकाश हो,
बुभूक्षू का प्रथंम ग्रास हो,
पिपासु की प्यास हो
वैभव का विलाश हो,
प्रेरणा का तो प्रयास हो
न होना हताश,
न कभी निराश,
तुम तो मेरे विश्वास हो !
तुम तो मेरे विश्वास हो !!
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