Saturday, 16 March 2013

हम बड़े बनकर रोज भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं कि हे प्रभु जब हम सारे मूल्यों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, बड़े होने का जुगाड़ कर रहे थे तो आपने हमारे सारे पापों को अनदेखा कर दिया नही तो आज हम भी उन्हीं नीतिवानों की तरह मर्यादा के नाम पर दुःख झेलते जब की आज और अब हम मर्यादा के नाम पर प्रवचन करते हैं- आप सचमूच दयालु हैं प्रभु कि आपने औरों को तो सजा दी और हमारे पाप देखें ही नहीं।
अधम हैं वे जो चोरी भी... नहीं करते और जीवन भर भीख मांगते हैं।
कुछ तो शर्म करो, सलिके से चोरी भी नहीं करनी आती , भगवान के हाथों पकड़े गये और भगवान को दण्ड देना पड़ता है।
कुछ तो हम बड़ै लोगों से सीखा होता। पाप करने की ही चीज है, परमात्मा की ही बनाई माया है, उससे परहेज रखोगे तो परमात्मा नाराज तो होगा ही न, दुःखी रहोगे ही- हमको देखो, क्या नहीं किया और शान से है--
वाह रे हम- भगवान भी हमें नहीं पकड़ पाया---

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