हमें प्रश्न पूछने, जानने, और सब विधि इत्मिनान का अधिकार तो हो और वह जमीनी हो, वास्तविक हो, काल्पनिक नहीं। हमें केवल प्रश्न पूछने, जानने, बोलने का अधिकार ही न हो वरन उसके बाद भी सुरक्षित रहने, सोने, खाने, पीने, घूमने, फिरने का इत्मिनान हो। बोलने के बाद भी स्वतन्त्रता रहे। कहने के बाद भी सुरक्षा चाहिये।प्रश्न पूछने के बाद भी डर न हो ।
बोला ही तो है, पूछा ही तो है, लिखा ही तो है, कहा ही तो है।
मैंने पूछा क्यों, और आप कुपित हो गए !
मैने कहा कब, और आक्रामक हो गए !
मैंने जानना चाहा कैसे, आप हिंसक हो गये!
यही नहीं चाहिये।
बोला ही तो है, पूछा ही तो है, लिखा ही तो है, कहा ही तो है।
मैंने पूछा क्यों, और आप कुपित हो गए !
मैने कहा कब, और आक्रामक हो गए !
मैंने जानना चाहा कैसे, आप हिंसक हो गये!
यही नहीं चाहिये।
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