रतेरिया विजन
मूझे मधुमक्खी बने रह जाने दो , शहद बनाने की जो आदत बन पड़ी है वह रह जायेगी
मैं लूंगा तो कुछ नहीं , लेते वक्त भी नवजीवन दूँगा ही, जाते जाते शहद ही दे कर जाउँगा
मूझे मधुमक्खी बने रह जाने दो , शहद बनाने की जो आदत बन पड़ी है वह रह जायेगी
मैं लूंगा तो कुछ नहीं , लेते वक्त भी नवजीवन दूँगा ही, जाते जाते शहद ही दे कर जाउँगा
No comments:
Post a Comment