Sunday, 5 August 2018

वसीयत एक कमजोर दस्तावेज है। न्यायालय इनकी जाँच सवधानी से करने को आदेशित है। प्रथमतः यह दस्तावेज पब्लिक डोमेन में आता ही तब है जब दस्तावेज बनाने वाला दुनिया में नहीं रह जाता। अधिकांशतः यह दस्तावेज वृद्ध, अशक्त, बीमार लोगों द्वारा या अन्य विपरीत पतिस्थितियों में ही बनाया जाता है।
यदि इस दस्तावेज से सामान्य उत्तराधिकार को बिना छेड़े ही आगे बढ़ाया जा रहा है तो इस दस्तावेज की आवश्यकता ही नहीं रह जाती।
और यदि इस दस्तावेज से सामान्य प्राकृतिक सम्पत्ति उत्तराधिकार के प्रभाव से छेड़छाड़ है, जैसा की वसीयत के दस्तावेज में अक्सर होता है, तो न्यायालय का कार्य कठिन होता है, खासकर मृतक का दस्तावेज बनाते समय वास्तविक आशय के बारे में निर्णय लेना।

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