Saturday, 4 August 2018

कल का मांसाहारी आज सात्विक शाकाहारी हुआ जा रहा है। नास्तिक आस्तिक हो चला। सब कुछ समयाधीन निरन्तर बदल रहा है। सेल्फ आडिट मोड में ऑटो करेक्शन होते जा रहा है। ऑटो अपडेट हो रहा है।
पहले का बहुत कुछ अपने आप डिलीट हुआ चाहता है।
हो जाना ही श्रेयष्कर है। हो जाने दो।
दिवसावशान के समय भोर विहाग राग नहीं ही होना चाहिये।

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