Thursday, 2 October 2014

क्या जरुरत है इस जानवरपन भरे शोर की ?
 वैसे जानवर इंसानों  की तरह न तो लाउड स्पीकर लगा कर शोर मचाते हैं ,न दिखाने के लिए किसी जानवर की बली देते हैं ,न डी जे पर नशे में कपड़े उतारते है , न जंगलों में प्लास्टिक ले जाते हैं ,जानवर न ब्लू फिल्म बनाते हैं ,न बनवाते है ,न ग्रुप में शेयर करते हैं ,जानवर शौकिया जबरदस्ती नहीं करते ,मनोरंजन के लिए न खाते ,न खिलाते , - अच्छा है जानवर पढ़े लिखे नहीं है . आज भी हथियार के नाम पर उनके पास दांत ,नाखून ,सींग ,कड़ी खाल , कांटे ,अपनी अन्य सिमित शक्ति ही है ---- कम से कम रासायनिक हथियारों का ,विश्व युद्ध का डर तो नहीं सताता.
काश हम जानवर हो जाते ,केवल जानवर जितना ही शोर करते ,उतनी ही गंदगी करते - जानवर रहते तो कम से कम ब्यापार तो नहीं करते -
काश हम जानवर होते -ये बाजार तो न सजे होते ---
काश हम जानवर होते - हमसे समस्त श्रृष्टि को कम से कम भय तो नहीं होता - शांति बनाये रखने को यूं एन ओ की जरूरत तो न होती 

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