Tuesday, 14 October 2014

क्या कभी यह इच्छा नहीं होती कि तुम भी शेयर किये जाने लायक बनो .तुम्हारा सोचा , किया ,लिखा , कहा भी शेयर किया जाये ताकि वह सब तब भी रह सके जब तुम न रहो .

कुछ तो ऐसा कर जाओ जो सब के काम आ सके , सभी शेयर कर सके ,जिसके लिए उन्हें तुम्हें दाम देना या प्रणाम  करना न पड़े और वे निर्बाध ले सके.

कुछ तो ऐसे जी जाओ की लोग तुम्हें और तुम्हारा बिना शुक्रिया अदा किये भी ,बिना एहसानमन्द हुए भी शेयर कर सके ,खुश होते रहे ,तुम न भी रहो तो उन्हें बेवजह खुशियाँ दे सको ,वे खुशियाँ ले सके ,बाँट सके 

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