बहुत सी चिनगारियाँ है सोई हुई सी
उन्हें तबियत से लहकाओ , शोला बन जाएगी।
अपने अंदर ही मुकम्मल आग जलाओ
उलझने अँधेरे की , ये ही रौशनी बन जाएगी।
उन्हें तबियत से लहकाओ , शोला बन जाएगी।
अपने अंदर ही मुकम्मल आग जलाओ
उलझने अँधेरे की , ये ही रौशनी बन जाएगी।
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