Thursday, 21 August 2014

मैं दिन में खुली आँखों से सपने देखता हूँ , अपनी मेहनत ,समझ और आपके सहयोग-आशीर्वाद से उन्हें आकार देता हूँ और रात में इतमिनान से जितना जरुरी होता है सोता हूँ और फिर आगे के काम पर लग जाता हूँ।
  बिना सपनों की मेहनत से बचता हूँ , सपनों में मेहनत से बचता हूँ।
 जगते हुए सपने देखता हूँ , सपनों के साथ लगते हुए जग कर लग कर मेहनत करता हूँ। मुझे जगे हुए सपनों का शौक है। 

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