Friday, 14 March 2014

हल्के लाल रंग की सुबह
हरे रंग के पेड़ पर
काले रंग की कोयल
सुग्गा पंखी रंग का सुग्गा
सुग्गे की सुर्ख लाल चोंच
लंबी सी धारदार पंखो वाली पोंछ
लाल लाल छल्ला गर्दन पर
सुबह धीरे धीरे चाँदी की सीढ़ी चढ़ेगी
कच्चे आम की सुगंध फैलेगी
माटी धीरे धीरे आसमान के चूल्हे पर पकेगी
आम के पेड़ की छाया मेँ पसीना सूखेगा
सोने के रंग वाली गेंहू की बाल नाचेगी
किसान की आंखे  तेल सी चमकने लगेगी
दो माह बाद बेटी के हाथ पीले कर दूंगा
और साहूकार अनंत छेदों से एकसतरंगा  जाल बुनने लगा
बहेलिये की तरह निरीह को  बेमौत फँसाने को। .

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