अपने आप के लिये ,तुमने व्यवस्था को किया ब्यर्थ
तोड़ डाला विश्वास ,सदियों का भी नहीं रहा कोई अर्थ .
तुम और मैं टूट जायेंगे ,तब भी वह तो रहेगा सार्थक
व्यवस्था ,विश्वास तोड़ोगे तो ,हम सब होंगे निरर्थक
एक पल के लोभ में .सदियाँ बह गई ,मूल्य ढह गये
हरे भरे जंगल थे , कहाँ गये ,ठूंठ ,नंगे अभद्र रह गये .
ये तुमने क्या किया ,अपना ही काम,नाम निगल लिया
उस एक पल के ताप से ,सदियों का यश पिघल लिया .
तोड़ डाला विश्वास ,सदियों का भी नहीं रहा कोई अर्थ .
तुम और मैं टूट जायेंगे ,तब भी वह तो रहेगा सार्थक
व्यवस्था ,विश्वास तोड़ोगे तो ,हम सब होंगे निरर्थक
एक पल के लोभ में .सदियाँ बह गई ,मूल्य ढह गये
हरे भरे जंगल थे , कहाँ गये ,ठूंठ ,नंगे अभद्र रह गये .
ये तुमने क्या किया ,अपना ही काम,नाम निगल लिया
उस एक पल के ताप से ,सदियों का यश पिघल लिया .
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