महत्व
तो केवल समय देता है, वही कद्रदान है, वर्तमान से , लोगों से कद्र की
उम्मीद करते हुए कोई काम किया ही नहीं जा सकता, लोग तो जहर का प्याला,
सूली, सलीब। सितम, जलालत, जहालत, लानत ही देते हैं- पर उसकी परवाह किसको-
हाँ थोड़ा साहस , धैर्य तथा किसी एक का हाथ में हाथ डाले साथ और किसी एक का
सर पर हाथ तथा अपना माथ तो चाहिये ही न।
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